Madhu varma

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लेखनी कविता -अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना - ग़ालिब

अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना / ग़ालिब

अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना
तूती को शश जिहत से मुक़ाबिल है आइना

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